सखि,
ये क्या हो गया है सांसदों, राजनीतिक दलों को ? जब देखो तब संसद में हंगामा खड़ा कर संसद को स्थगित करवा देते हैं । ना तो कोई काम करते हैं और ना ही करने देते हैं । इनको लगता है कि यदि काम हुआ तो पता नहीं सरकार क्या क्या बिल पास करा ले जायेगी ? खानदानी लोगों को यह कैसे बर्दाश्त हो सकता है भला ? इसलिए वे अब ऐसी हरकत पर उतारू हो गये हैं और हो हल्ला करके संसद को ठप्प कर रहे हैं । ऐसे में मुझे दुष्यंत की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं । ध्यान से सुनना सखि ।
हो गयी है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी
शर्त मगर ये थी कि बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क हर गली, हर नगर, हर गांव में
हाथ लहराते हुए एक लाश चलनी चाहिए
मेरे सीने में ना सही तेरे सीने में ही सही
हो कहीं भी आग, मगर आग जलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
आज के हालात को देखकर जिस तरह से सड़क से संसद तक सिर्फ हंगामा हो रहा है , इस पर मैंने भी कुछ पंक्तियां लिखी हैं जो आप सबकी नजर ए इनायत के लिये प्रस्तुत हैं ।
हो गये हैं बिल्कुल खलिहर, कुछ तो रोजगार चाहिए
किसी भी चुनाव से कुछ तो अच्छा समाचार चाहिए
एक खानदानी पार्टी सिकुड़ कर समाप्त होने लगी है
उनकी ख्वाहिश है कि ये सत्ता उन्हें ही मिलनी चाहिए
जाति, धर्म, भाषा, प्रांत में बांट दिया है इस देश को
एकता की लाश पर राजनीति की रोटियां सिकनी चाहिए
इनके सीने में धधक रही है सत्ता गंवाने की ज्वाला
ये आग इस देश में चारों तरफ प्रज्ज्वलित होनी चाहिए
कभी शाहीन बाग, कभी किसान और कभी अग्निवीर
जितना हो सके झूठ परोसने की कवायद होनी चाहिए
देश को पिछड़ा बनाये रखने की कोशिशें हजार की
कहीं दंगे कहीं आंदोलन कहीं आगजनी होनी चाहिए
हंगामा खड़ा करना ही मेरा मकसद बचा है दोस्तों
इसलिए हर हाल में यह संसद ठप्प होनी चाहिए
अब तुम ही बताओ सखि, ये देश आगे कैसे बढे ? भगवान सबको सद्बुद्धि दें ।
श्री हरि
21.7.22
Radhika
09-Mar-2023 12:39 PM
Nice
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नंदिता राय
25-Jul-2022 04:27 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Shnaya
25-Jul-2022 03:34 PM
शानदार
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